Home
🔍
Search
Videos
Stories
छत्तीसगढ़छत्तीसगढ़ जनसंपर्क

‘मोर गांव मोर पानी‘ अभियान से सरगुजा जिला बना जल आत्मनिर्भर

जनभागीदारी और शासन की पहल से पुनर्जीवित हुए पारंपरिक जल स्रोत

रायपुर, 16 अक्टूबर 2025/ सरगुजा जिले में ‘गांव मोर पानी‘ महा अभियान के तहत भू-जल स्तर में गिरावट को रोकने, वर्षा जल संचयन को प्रोत्साहित करने और पारंपरिक जल स्रोतों के संरक्षण के लिए व्यापक कार्य किए गए हैं। छत्तीसगढ़ शासन का उद्देश्य था कि प्रत्येक गांव अपने जल स्रोतों का संरक्षण कर जल आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़े, ताकि आने वाले समय में जिले को जल संकट से मुक्ति मिल सके।मोर गांव मोर पानी महा अभियान के अंतर्गत सरगुजा जिले के विभिन्न विकासखण्डों अम्बिकापुर, मैनपाट, लखनपुर, बतौली, सीतापुर, लुण्ड्रा, और उदयपुर में वर्षा जल संचयन के लिए विशेष कार्ययोजनाएं तैयार की गई हैं। इन क्षेत्रों में ‘रीज टू वैली‘ की अवधारणा पर आधारित तकनीकों का उपयोग किया गया है, ताकि वर्षा का प्रत्येक बूंद भूमि में समाहित होकर भूजल को समृद्ध कर सके।इस दिशा में स्ट्रेगर्ड कंटूर ट्रेंच 09, सतत कंटूर ट्रेंच 01, लूज बोल्डर चेक डैम 299, गैबियन स्ट्रक्चर 02, ब्रशवुड चेक डैम 133, अर्दन गली पल्ग 315, सोकपिट निर्माण 14840 तथा सैंड फिल्टर रिचार्ज 17 यूनिट्स का निर्माण बड़े पैमाने पर किया गया है। ये संरचनाएं बरसात के पानी को बहने से रोककर भूमि में रिसने में मदद करती हैं, जिससे भू-जल पुनर्भरण में वृद्धि होती है।अभियान के तहत जिले के विभिन्न ग्रामों में स्थित पुराने कुएं, तालाब, नालों और चेकडैमों का गहरीकरण और मरम्मत कार्य किया जा रहा है। कई स्थानों पर वर्षों से सूखे पड़े तालाबों में पुनः जल संचित होना शुरू हो गया है, जिससे ग्रामीणों को घरेलू उपयोग एवं पशुपालन के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध हो रहा है।

भू-जल स्तर में सुधार होने से किसानों को अब सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिल रहा है। पहले जहां केवल एक फसल संभव थी, वहीं अब किसान रबी और खरीफ दोनों सीजन में फसलें ले पाएंगे। साथ ही डबरी निर्माण, नालों पर चेकडैम और तालाबों से खेतों में नमी बनी रहने लगी है, जिससे खेती की उत्पादकता और आमदनी में वृद्धि होगी।

जनभागीदारी से चलाया गया जल संरक्षण आंदोलन

मोर गांव मोर पानी महाभियान केवल शासन की पहल नहीं, बल्कि इसे एक जन आंदोलन का स्वरूप दिया गया है। प्रत्येक ग्राम पंचायत में जनप्रतिनिधि, स्वयं सहायता समूहों, युवाओं और ग्रामीणों की भागीदारी सुनिश्चित की गई है। इन समूहों को जल संरक्षण तकनीकों, वर्षा जल संचयन विधियों, भूजल पुनर्भरण और पर्यावरणीय संतुलन के प्रति जागरूक किया गया। जिले के स्कूलों और महाविद्यालयों में भी विद्यार्थियों के बीच ‘मोर गांव मोर पानी महाभियान‘ विषय पर रैलियां, निबंध प्रतियोगिताएं और जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किए गए।

मोर गांव मोर पानी महा अभियान के चलते जिले में कई स्थानों पर भू-जल स्तर में 1 से 2 मीटर तक सुधार दर्ज किया गया है। पहले जिन गांवों में गर्मी के मौसम में पेयजल संकट था, वहां अब हैंडपंप और कुएं सुचारू रूप से चल रहे हैं। शासन का लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में जिले के प्रत्येक गांव में पर्याप्त जल संरचनाएं निर्मित हों, ताकि सरगुजा जल आत्मनिर्भर जिला के रूप में विकसित हो सके।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button