
देशभक्ति की भावना साहित्य की अमर धरोहर” : प्रधान संपादक पी.के.तिवारी
रायपुर। राजधानी स्थित वृन्दावन सभागृह में आज वक्ता मंच द्वारा देशभक्ति से ओतप्रोत काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। यह आयोजन गणेशोत्सव की ऐतिहासिक परंपरा को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से किया गया। ज्ञातव्य है कि लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान सार्वजनिक गणेशोत्सवों के मंच का उपयोग सांस्कृतिक और साहित्यिक कार्यक्रमों के माध्यम से देशभक्ति की भावना जागृत करने के लिए किया था।
संस्था के अध्यक्ष राजेश पराते ने बताया कि रायपुर, दुर्ग, सिमगा, राजिम और बेमेतरा से आए 60 से अधिक कवियों ने हिंदी और छत्तीसगढ़ी भाषा में रचनाएं प्रस्तुत कीं।
कार्यक्रम का मुख्य विषय था – “ज़रा याद करो कुर्बानी”
गोष्ठी के मुख्य अतिथि प्रधान संपादक दैनिक दबंग स्वर श्री पी. के. तिवारी रहे। उन्होंने कहा कि साहित्य, कविता और कला सदैव राष्ट्रप्रेम की चेतना को प्रखर बनाती है। कवियों की रचनाएं नई पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत हैं और यह आयोजन हमें स्वतंत्रता सेनानियों के त्याग और बलिदान की याद दिलाता है।
अध्यक्षता वरिष्ठ कवयित्री शुभा शुक्ला ‘निशा’ ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ पत्रकार राजकुमार धर द्विवेदी और समाजसेविका ज्योति शुक्ला उपस्थित थीं। इस अवसर पर राजेश शर्मा एवं करण बघेल को नवोदित रचनाकार सम्मान से सम्मानित किया गया।
साथ ही संस्था की संरक्षिका ज्योति शुक्ला का जन्मदिन भी उत्सवपूर्वक मनाया गया। कार्यक्रम का संचालन अध्यक्ष राजेश पराते तथा आभार प्रदर्शन संयोजक शुभम साहू ने किया।
प्रमुख प्रस्तुतियां
आदित्य बर्मन “आजाद”:
“मैं दीवाना हूँ शहीदों का, वीरों की पुकार लिखूंगा,
छोड़कर महबूबा की कलाई, हाथों में हो तलवार लिखूंगा।”
शिवानी मैत्रा:
“जिनकी वजह से लिखी गई आज़ाद भारत की कहानी,
आज हम सब याद करें ऐसे वीरों की कुर्बानी…”
मधु तिवारी:
“मजहबी आग जो लगी थी कहीं, तुम लहू सींचकर बुझाते रहे,
संकट आया जब भी देश में, तुम अपने प्राणों की बाज़ी लगाते रहे…”
विरेंद्र शर्मा “अनुज”:
“हमारा हर जवां मरने को अब तैयार बैठा है,
कफ़न बाँधे हुए हाथों में ले तलवार बैठा है…”
आरव शुक्ला:
“कारवां देशभक्ति का कभी रुकने न पाए,
दुश्मन की नज़र इस देश पर कभी उठने न पाए…”
साथ ही देर शाम तक चली इस महफ़िल में प्रधान संपादक पं. पी. के. तिवारी, राजकुमार धर द्विवेदी, शुभा शुक्ला, ज्योति शुक्ला, राजेश पराते, शुभम साहू सहित 62 कवियों और रचनाकारों ने प्रस्तुतियां दीं।
कवियों में प्रमुख रहे –
घासी राम रात्रे, गंगा शरण पासी, कमल सूर्यवंशी, डॉ. कमल वर्मा, जी. आर. पारकर, आर. एस. सेन, सुषमा पटेल, तामेश्वर साहू, रामचंद्र श्रीवास्तव, अर्चना श्रीवास्तव, कुमार जगदलवी, रुनाली चक्रवर्ती, राजेंद्र रायपुरी, सुनीता वैष्णव, मोहित शर्मा, मयूराक्षी मिश्रा, सत्येंद्र तिवारी ‘सकुति’, विवेक भ8ट्ट ‘आशा परशुराम’, प्रमोद पटले, सूर्यकांत देवांगन ‘प्रचंड’, शायर रवि, प्रतीक कश्यप, उमराव सिंह वर्मा, आरव शुक्ला, सिद्धांत शुक्ला, अनिल राय ‘भारत’, जागृति मिश्रा, डॉ. महेंद्र ठाकुर, मोहम्मद हुसैन, नौरीन नाज़, डॉ. गोपा शर्मा, यशवंत यदु यश, नूतनलाल साहू, चंद्रहास सेन, सुप्रिया शर्मा, दीपमाला पाण्डेय, संजय देवांगन, लोकनाथ साहू, सी. एल. दुबे, अदिति तिवारी, चंद्रकला त्रिपाठी, प्रीतिरानी तिवारी, मोहन श्रीवास्तव एवं शोभा मोहन श्रीवास्तव शामिल हुए।