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“छत्तीसगढ़ में बांग्लादेशी घुसपैठ पर बड़ी कार्रवाई: सरकार ने बनाई SIT, मकान मालिकों के लिए जारी हुई अहम सूचना – पूरी जानकारी यहां पढ़ें”

रायपुर। छत्तीसगढ़ में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों, पाकिस्तानी और रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ राज्य सरकार ने विशेष अभियान शुरू किया है। इस अभियान के तहत स्पेशल टास्क फोर्स (STF) गठित की गई है, जो संदिग्धों की पहचान करके उन्हें होल्डिंग सेंटर तक पहुंचाएगी। राज्य में पहली बार 33 जिलों में स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) का गठन किया गया है। इस टीम में 20 से ज्यादा सदस्य रहेंगे। इस टीम को लीड राजपत्रित रैंक के अधिकारी करेंगे।

गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव ने यह आदेश प्रदेश के सभी कलेक्टरों और पुलिस अधीक्षकों को 15 मई को जारी किया है। गोपनीय जानकारी के चलते पूरा पत्र नहीं दिखा सकते।

STF का कार्य और होल्डिंग सेंटर की भूमिका

STF का मुख्य उद्देश्य अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों की पहचान करना और उन्हें होल्डिंग सेंटर तक पहुंचाना है। होल्डिंग सेंटर एक अस्थायी केंद्र होगा, जहां इन संदिग्धों को रखा जाएगा और उनकी नागरिकता की स्थिति की जांच की जाएगी। यह केंद्र उच्च सुरक्षा मानकों से लैस होगा, ताकि किसी भी प्रकार की अव्यवस्था या भागने की कोशिश को रोका जा सके।

मकान मालिकों के लिए चेतावनी

यदि आपने अनजाने में या जानबूझकर किसी बांग्लादेशी नागरिक, पाकिस्तानी या रोहिंग्या मुसलमान को अपने मकान में किराएदार या सहायक के रूप में रखा है, तो आप पर भी कड़ी कानूनी कार्रवाई हो सकती है। राज्य सरकार ने सभी मकान मालिकों से अपील की है कि वे अपने किरायेदारों के दस्तावेजों की जांच करें और सत्यापन करवाएं। यदि सत्यापन नहीं कराया गया, तो ऐसे मकान मालिकों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे।

कार्रवाई की स्थिति

अब तक राज्य में 2,000 से अधिक संदिग्धों के खिलाफ कार्रवाई की जा चुकी है। इनकी पहचान के लिए आधार कार्ड, राशन कार्ड, पैन कार्ड जैसे दस्तावेजों की जांच की जा रही है। इसके अलावा, प्रदेश के विभिन्न जिलों में सर्च ऑपरेशन चलाए जा रहे हैं, जिनमें दुर्ग, भिलाई, राजनांदगांव, कोंडागांव और बस्तर शामिल हैं।

घुसपैठियों पर ऐसे होगी कार्रवाई

छत्तीसगढ़ में अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों पर सख्ती करने की तैयारी है। ये आदेश उसी से जुड़ा है। हालांकि इसमें कई जानकारी गोपनीय है इसलिए दैनिक भास्कर भी उसे समझते हुए साझा नहीं कर सकता।

हालांकि गाइडलाइन में स्पष्ट किया गया है कि केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए नियमों के तहत घुसपैठियों पर कार्रवाई होगी। जिला प्रशासन और पुलिस के माध्यम से घुसपैठियों की पूरी जानकारी की जांच उसके मूल क्षेत्र से होगी।

30​ दिनों के अंदर सत्यापन के बाद घुसपैठिए के निर्वासन संबंधी रिपोर्ट भेजनी होगी। जांच की अवधि के दौरान संदिग्ध को होल्डिंग सेंटर में रखा जाएगा। अगर जांच के दौरान संदिग्ध बांग्लादेशी या रोहिंग्या पाया जाता है तो उसका बायोमैट्रिक्स और डिटेल गृह मंत्रालय के विदेशी पहचान पोर्टल पर दर्ज किया जाएगा।

ये पोर्टल https://identification-mha-goc-in है। जहां पर इंटरनेट उपलब्ध नहीं होगा, वहां पर इस प्रक्रिया को ऑफलाइन किया जाए। जिला पुलिस मॉड्यूल के तहत जिले में उपलब्ध बायोमैट्रिक उपकरण का उपयोग करेगी।

बायोमैट्रिक को कैप्चर करने के लिए नफीस सॉफ्टवेयर का उपयोग बंद कर दिया जाएगा। घुसपैठियों की गिरफ्तारी की सूचना विदेश मंत्रालय को भेजनी होगी।

जारी गाइडलाइन (STF Action) के अनुसार प्रदेश में अवैध रूप से रह रहे लोगों को शिनाख्त की जाएगी। उनके दस्तावेजों की जांच की जाएगी। जांच के दौरान संदिग्ध विदेशी पाया गया, तो उसकी बॉयोमेट्रिक और जनसांख्यिकी ब्योरा एकत्र किया जाएगा। इस ब्योरे को राज्य सरकार को भेजा जाएगा। इस डेटा को एकत्र करने के लिए सेंटर को हाईटेक बनाया जाएगा। सेंटर में विदेशी नागरिको को मूलभूत सुविधा के अलावा चिकित्सा सुविधा भी दी जाएगी।

अलग-अलग जिले में ये हैं STF के प्रभारी
  • रायपुर में एएसपी ममता देवांगन
  • दुर्ग में डीएसपी सत्यप्रकाश तिवारी
  • राजनांदगांव में राहुल देव शर्मा
  • कवर्धा में पुष्पेंद्र सिंह बघेल
  • खैरागढ़ में नीतेश गौतम
  • मोहला मानपुर में डीएसपी नेहा पवार
  • अधिकांश जिलों में एएसपी और डीएसपी रैंक के अधिकारियों को जिम्मेदारी मिली है।
सबसे बड़ी टीम राजनांदगांव में
  • एसटीएफ की राजनांदगांव टीम में 28 सदस्य हैं। इसमें एएसपी राहुल देव शर्मा के साथ 4 डीएसपी, 16 इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारियों को रखा गया है।
  • वहीं रायपुर में एएसपी ममता देवांगन के साथ सीएसपी पूर्णिमा लांबा, सीनियर टीआई संजीव मिश्रा समेत 8 लोगों की टीम है। इसके अलावा नक्सल जिलों में भी टीम काम करेगी।

इस अभियान के तहत, पुलिस ने बांग्लादेशी नागरिकों (STF Action) के खिलाफ ठाणे, मुंबई और अन्य स्थानों पर भी कार्रवाई की है। इन नागरिकों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर भारत में प्रवेश किया था और अब उन्हें गिरफ्तार किया गया है।

राज्य सरकार का यह अभियान राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने और अवैध प्रवासियों की पहचान करके उन्हें उनके देश वापस भेजने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

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