पांच दिनी कार्य प्रणाली खत्म करने के प्रस्ताव का लिपिक संघ ने किया विरोध – प्रदेश व्यापी आंदोलन की चेतावनी

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ प्रदेश लिपिक वर्गीय शासकीय कर्मचारी संघ ने राज्य सरकार द्वारा पांच दिवसीय कार्य प्रणाली (फाइव डे वर्किंग) समाप्त करने के प्रस्ताव का कड़ा विरोध जताया है।
संघ के प्रदेश अध्यक्ष श्री रोहित तिवारी ने प्रेस बयान जारी कर स्पष्ट किया कि पांच दिवसीय कार्य प्रणाली पूर्ववर्ती सरकार द्वारा कर्मचारियों के हित को ध्यान में रखते हुए लागू की गई थी। यह व्यवस्था कर्मचारियों को मानसिक और शारीरिक रूप से संतुलन बनाए रखने का अवसर देती है। उन्होंने कहा कि सप्ताह में पांच दिन काम करने के बावजूद कर्मचारी देर रात तक दफ्तर में रुककर कार्य संपन्न करते हैं ताकि शासकीय कार्य प्रभावित न हो।
श्री तिवारी ने कहा कि कर्मचारियों पर अनावश्यक कार्यभार थोपना उनकी कार्यक्षमता को प्रभावित करता है और इससे उनका स्वास्थ्य और सामाजिक जीवन दोनों पर प्रतिकूल असर पड़ता है। उन्होंने दो टूक कहा कि “कर्मचारी कोई बंधुआ मजदूर नहीं हैं, जिन्हें दिन-रात सिर्फ सरकारी काम करना है।”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार विभागों में कार्य की अधिकता की समस्या का समाधान करने के बजाय कर्मचारियों की सुविधाएं खत्म करने में लगी है। विभिन्न विभागों में, विशेषकर लिपिक और राजस्व संवर्ग में वर्षों से नई भर्ती नहीं हुई है, जिससे कार्य का अतिरिक्त दबाव पहले से ही मौजूद कर्मचारियों पर पड़ रहा है।
श्री तिवारी ने सरकार को सुझाव देते हुए कहा कि यदि वास्तव में शासकीय कार्य की गति बढ़ाना चाहती है तो सभी कैडर में तत्काल नई भर्ती करे।
अंत में उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार पांच दिवसीय कार्य प्रणाली को समाप्त करने का आदेश जारी करती है, तो संघ प्रदेश व्यापी आंदोलन करने के लिए बाध्य होगा।
संघ ने स्पष्ट कर दिया है कि कर्मचारियों के अधिकारों से समझौता नहीं किया जाएगा और आवश्यकता पड़ने पर व्यापक विरोध किया जाएगा।