स्मार्टफोन की लत से बच्चे और अभिभावक दोनों ही जूझ रहे, 71 प्रतिशत बच्चे बिना स्मार्टफोन के नहीं रह सकते

नई रिसर्च में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं, जिनमें यह खुलासा हुआ है कि 71 प्रतिशत बच्चे और 76 प्रतिशत अभिभावक स्मार्टफोन के बिना नहीं रह सकते। हालांकि, 84 प्रतिशत अभिभावक और 76 प्रतिशत बच्चे एक-दूसरे के साथ अधिक समय बिताना चाहते हैं, लेकिन स्मार्टफोन और सोशल मीडिया एप्स इस प्रयास में रुकावट डाल रहे हैं।
स्मार्टफोन के साथ रिश्तों में दरार
रिसर्च में यह भी पाया गया कि 94 प्रतिशत बच्चे चाहते हैं कि उनके माता-पिता के स्मार्टफोन में केवल कॉलिंग, मैसेजिंग और कैमरा जैसे बेसिक फीचर हों, न कि सोशल मीडिया और गेमिंग एप्स। 75 प्रतिशत अभिभावक इस बात से चिंतित हैं कि उनके बच्चे स्मार्टफोन की लत के कारण परिवार के साथ अच्छे रिश्ते नहीं बना पा रहे हैं।
स्मार्टफोन की आदत को छोड़ने के लिए तैयार नहीं
वीवो और साइबर मीडिया रिसर्च द्वारा किए गए इस अध्ययन में यह सामने आया कि अभिभावक औसतन पांच घंटे और बच्चे चार घंटे स्मार्टफोन पर बिताते हैं। इन चार घंटों में से अधिकांश समय सोशल मीडिया और इंटरटेनमेंट एप्स पर जाता है।
64 प्रतिशत बच्चों ने माना कि उन्हें स्मार्टफोन की बुरी लत लग चुकी है। हालांकि, 60 प्रतिशत से अधिक बच्चे यह कहते हैं कि अगर उनके दोस्त सोशल मीडिया एप्स से हट जाएं तो वे भी इसका उपयोग छोड़ सकते हैं।
तीन में से एक बच्चे ने तो यह भी कहा कि सोशल मीडिया एप्स का आविष्कार ही नहीं होना चाहिए था। वीवो इंडिया के कॉरपोरेट स्ट्रेटजी हेड गीतज चन्नना ने कहा कि टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल जीवन को सरल और सकारात्मक बनाने के लिए होना चाहिए, लेकिन स्मार्टफोन अब वास्तविक जीवन के रिश्तों में रुकावट बनता जा रहा है।